Wednesday, 16 October 2019

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या

                               बेरोजगारी एक गंभीर समस्या                                सोने की चिड़िया कहलाने वाली हमारे देश की दशा आज कुछ ऐसी हो गयी है की आजादी के इतने सालो बाद भी हमारा देश किसी न किसी समस्या से लड़ता ही रहता है। आज भारत के सामने जो समशया फन फैलाए खड़ी है। उनमे से एक महत्वपूर्ण समस्या है बेरोजगारी।,लोगो के पाश हाथ है पर ,पर काम नहीं ,प्रशिक्षण है पर नौकरी नहीं ,योजनाए और उत्साह है पर औसर नहीं। बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है इससे न केवल ब्यक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पुरे समाज को प्रभावित करता है।                                                                                                                                        भारत में सवा अरब लोग रहते है, यहाँ बेरोजगारी की समस्या बहुत ही बिकराल रूप धारण करे हुए है बेरोजगारी की समस्या किसी राष्ट्र के लिए कलंक  है। यह समस्या तब उत्पन होती है जब काम की कमी और और काम करने वालो की अधिकता होती है। बेरोजगार उस ब्यक्ति को कहते है जो की बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम तो करना चाहता है लेकिन उसे काम नहीं मिल पा रहा हो। बेरोजगारी की परिभाषा अलग अलग होती है। जैसे अमेरिका में यदि किसी ब्यक्ति को उसकी qulification के हिसाब से नौकरी नहीं मिलती है तो उसे बेरोजगार कहते है। आज हमारे देश बेरोजगारी की समस्या में लगातार बृद्धि हो रही है हमारे आश पाश इतने लोग बेरोजगार है की क्या बताये। बेरोजगारी के चलते किसी भी युवा को अछि जॉब नहीं मिल प् रही है। यह समस्या हमारे देश के लिए बहुत ही बुरी है क्योंकि किसी देश के बिकाश में युवा का हाथ होता है पर युवा ही बेरोजगार होते जा रहे है। युवा लोग बेरोजगारी के आलम में कई बड़े गलत काम करने लगते है जिससे हमारे देश के बिकाश नहीं हो पायेगा। इसलिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए जैसे रोजगार के बहुत सरे औसर देना चाहिए ,जॉब देना चाहिए जिससे युवा वर्ग को रोजगार मिले इससे हमारे देश का बिकाश हो।                                                                                                                                                                                                                                            हमारा देश भारत चुकी युवाओ का देश है हमारे देश में सबसे अधिक युवा है। अगर युवा पीढ़ी को रोजगार मिलने लगा तो हमारे देश का बिकाश बहुत ही जल्द होगा। बेरोजगारी की वजह एक यह भी है की students अपने पढाई पर ध्यान नहीं देते और आगे चलकर बेरोजगार होते चलते जाते है इस समस्या में जितना योगदान सरकार का है उतना ही युवाओ का भी है क्योंकि युवा अच्छे से skills नहीं सिख पते है और अन्तःतः बेरोजगार हो जाते है।                                                                                                                इस लिए सरकार और युवा दोनों को एक साथ काम करना चाहिए।                                                                                                                                                                                                                                                जय हिन्द जय भारत 

बिद्यार्थी जीवन पर निबंध

             
                                                                                                                                 विद्‌यार्थी जीवन साधना और तपस्या का जीवन है । यह काल एकाग्रचित्त होकर अध्ययन और ज्ञान-चिंतन का है । यह काल सांसारिक भटकाव से स्वयं को दूर रखने का काल है । विद्‌यार्थियों के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन को ठोस नींव प्रदान करने का सुनहरा अवसर है । यह चरित्र-निर्माण का समय है । यह अपने ज्ञान को सुदृढ़ करने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। 
विद्‌यार्थी जीवन पाँच वष की आयु से आरंभ हो जाता है । इस समय जिज्ञासाएँ पनपने लगती हैं । ज्ञान-पिपासा तीव्र हो उठती है । बच्चा विद्‌यालय में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन के लिए उद्‌यत हो जाता है । उसे घर की दुनिया से बड़ा आकाश दिखाई देने
लगता है । नए शिक्षक नए सहपाठी और नया वातावरण मिलता है । वह समझने लगता है कि समाज क्या है और उसे समाज में किस तरह रहना चाहिए । उसके ज्ञान का फलक विस्तृत होता है । पाठ्‌य-पुस्तकों से उसे लगाव हो जाता है । वह ज्ञान रस का स्वाद लेने लगता है जो आजीवन उसका पोषण करता रहता है ।
विद्‌या अर्जन की चाह रखने वाला विद्‌यार्थी जब विनम्रता को धारण करता है तब उसकी राहें आसान हो जाती हैं । विनम्र होकर श्रद्धा भाव से वह गुरु के पास जाता है तो गुरु उसे सहर्ष विद्‌यादान देते हैं । वे उसे नीति ज्ञान एवं सामाजिक ज्ञान देते हैं, गणित की उलझनें सुलझाते हैं और उसके अंदर विज्ञान की समझ विकसित करते हैं । उसे भाषा का ज्ञान दिया जाता है ताकि वह अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सके । इस तरह विद्‌यार्थी जीवन सफलता और पूर्णता को प्राप्त करता हुआ प्रगतिगामी बनता है ।
विद्‌यार्थी जीवन मानवीय गुणों को अंगीभूत करने का काल है । सुख-दु:ख, हानि-लाभ, सर्दी-गर्मी से परे होकर जब विद्‌यार्थी नित्य अध्ययनशील हो जाता है तब उसका जीवन सफल हो जाता है । विद्‌या प्राप्ति के निमित्त कुछ कष्ट तो उठाने ही पड़ते हैं, आग में तपे बिना सोना शुद्ध नहीं होता । इसलिए आदर्श विद्‌यार्थी जीवन में सुख की चाह न रखते हुए केवल विद्‌या की चाह रखता है । वह धैर्य, साहस, ईमानदारी, लगनशीलता, गुरुभक्ति, स्वाभिमान जैसे गुणों को धारण करता हुआ जीवन-पथ पर बढ़ता ही चला जाता है । वह संयमित जीवन जीता है ताकि विद्‌यार्जन में बाधा उत्पन्न न हो । वह नियमबद्ध और अनुशासित रहता है । वह समय की पाबंदी पर विशेष ध्यान देता है ।
विद्‌या केवल पुस्तकों में नहीं होती । ज्ञान की बातें केवल गुरुजनों के मुखारविन्द से नहीं निकलतीं । ज्ञान तो झरने के जल की तरह प्रवाहमान रहता है । विद्‌यार्थी जीवन इस प्रवाहमान जल को पीते रहने का काल है । खेल का मैदान हो या डिबेट का समय, भ्रमण का अवसर हो अथवा विद्‌यालय की प्रयोगशाला, ज्ञान सर्वत्र भरा होता है । विद्‌यार्थी जीवन इन भांति- भांति रूपों में बिखरे ज्ञान को समेटने का काल है । स्वास्थ्य संबंधी बातें इसी जीवन में धारण की जाती हैं । व्यायाम और खेल से तन को इसी जीवन में पुष्ट कर लिया जाता है । विद्‌यार्थी जीवन में पढ़ाई के अलावा कोई ऐसा हुनर सीखा जाता है जिसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके ।
गुण- अवगुण, अच्छा-बुरा, पुण्य-पाप, धर्म- अधर्म सब जगह है । विद्‌यार्थी जीवन में ही इनकी पहचान करनी होती है । चतुर वह है जो सार ग्रहण कर लेता है और असार एवं सड़े-गले का त्याग कर देता है । सार है विद्‌या, सार है सद्‌गुण और असार है दुर्गुण । विद्‌यार्थी जीवन में दुर्गुणों से एक निश्चित दूरी बना लेनी चाहिए ।
ADVERTISEMENTS:
अच्छी आदतें अपनानी चाहिए । बुजुर्गों का सम्मान करना सीख लेना चाहिए । मधुर वाणी का महत्त्व समझ लेना चाहिए । अखाद्‌य तथा नशीली चीजों से परे रहना चाहिए । शारीरिक एवं मानसिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए । पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए । विद्‌यार्थी जीवन समाप्त होने पर इन सब बातों पर ध्यान देना नासमझी ही है ।
विद्‌यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन का स्वर्णिम काल है । इसका पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस जीवन में अनेक प्रकार के प्रलोभन आते हैं जिनसे सावधानी बरतने की आवश्यक

बिसवास

                                           
                                     बिसवास 



एक डाकू था जो साधू के भेष में रहता था। वह लूट का धन गरीबों में बाँटता था। एक दिन कुछ व्यापारियों का जुलूस उस डाकू के ठिकाने से गुज़र रहा था। सभी व्यापारियों को डाकू ने घेर लिया। डाकू की नज़रों से बचाकर एक व्यापारी रुपयों की थैली लेकर नज़दीकी तंबू में घूस गया। वहाँ उसने एक साधू को माला जपते देखा। व्यापारी ने वह थैली उस साधू को संभालने के लिए दे दी। साधू ने कहा की तुम निश्चिन्त हो जाओ।
डाकूओं के जाने के बाद व्यापारी अपनी थैली लेने वापस तंबू में आया। उसके आश्चर्य का पार न था। वह साधू तो डाकूओं की टोली का सरदार था। लूट के रुपयों को वह दूसरे डाकूओं को बाँट रहा था। व्यापारी वहाँ से निराश होकर वापस जाने लगा मगर उस साधू ने व्यापारी को देख लिया। उसने कहा; """"रूको, तुमने जो रूपयों की थैली रखी थी वह ज्यों की त्यों ही है।""
अपने रुपयों को सलामत देखकर व्यापारी खुश हो गया। डाकू का आभार मानकर वह बाहर निकल गया। उसके जाने के बाद वहाँ बैठे अन्य डाकूओं ने सरदार से पूछा कि हाथ में आये धन को इस प्रकार क्यों जाने दिया। सरदार ने कहा; ""व्यापारी मुझे भगवान का भक्त जानकर भरोसे के साथ थैली दे गया था। उसी कर्तव्यभाव से मैंने उन्हें थैली वापस दे दी।""
किसी के विशवास को तोड़ने से सच्चाई और ईमानदारी हमेशा के लिए शक के घेरे में आ जाती है।"

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किसान का जीवन

                                       किसान का जीवन                                         अगर हम बात करे किसान के जीवन के बारे में तो इसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता है। फिर भी बात करे तो किसान के जीवन के बारे में तो किसान का जीवन बहुत ही कठिन होता है। क्योंकि किसान है तो हम लोगो का पेट भरता है किसान दिन रात खेत में काम करता तब जाकर आनाज पैदा होता है। मगर इस समय किसान के हालात इंडिया में बहुत ही दयनीय है क्योकि जब किसान आनाज पैदा करता है तो उसके आनाज को बाजार में असली कीमत  नहीं मिल पाती है जब किसान वो अनाज बाजार में बेच देता है तब उसका मूल्य बढ़ जाता है जिससे बड़े ब्यापारियों को किसान का लाभ मिल जाता है। अगर हम बात करे इंडिया के बारे में तो यह एक कृषि प्रधान देश है मगर इस समय  किसान की हालात  बहुत ख़राब है आये दिन किसान आत्महत्या कर रहा है क्योंकि  किसान क़र्ज़ में डूब जाता जिसे वह चूका नहीं पता है और अंत में वे ऐसी गलत कदम उठाता है। यह बहुत ही बुरी बात है की एक ऐसा देश जो कृषि प्रधान देश है और वहा  के किसान की हालत इस कदर ख़राब है और सरकार कोई खाश कदम नहीं उठाती। आप  ही सोचे एक किसान जो पुरे राष्ट्र का पेट भरता है और उसका ही हाल सबसे ख़राब है सोचने पर तो बुरा लगता है मगर यह हकीकत है। क्या करे कोई कुछ करता ही नहीं है अगर किसानो को इस हालात  से  निकलना है तो सरकार को निम्न कदम उठाना चाहिए। 1 सबसे पहले किसानो का क़र्ज़ माफ कर देना चाहिए। 2 किसानो  को  मुफ्त बिजली की ब्वस्था करना चाहिए। 3 किसानो के अनाजों के उचित मूल्य मिलना चाहिए। 4 हरेक किसान को खाद की ब्वस्था करना चाहिए। 5 हरेक गांव में नहर की ब्वस्था।इत्यादि हमारे बिचार से यह सब ब्वस्था होती है तो किसान आत्महत्या नहीं  करेंगे। इस कदम से हमारे अनदाता किसनो को लाभ मिलेगा और हमारे देश की GDPभी सुधरेगी जिससे हमारे देश का बिकाश होगा।