Wednesday, 16 October 2019
बिद्यार्थी जीवन पर निबंध
विद्यार्थी जीवन पाँच वष की आयु से आरंभ हो जाता है । इस समय जिज्ञासाएँ पनपने लगती हैं । ज्ञान-पिपासा तीव्र हो उठती है । बच्चा विद्यालय में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन के लिए उद्यत हो जाता है । उसे घर की दुनिया से बड़ा आकाश दिखाई देने
लगता है । नए शिक्षक नए सहपाठी और नया वातावरण मिलता है । वह समझने लगता है कि समाज क्या है और उसे समाज में किस तरह रहना चाहिए । उसके ज्ञान का फलक विस्तृत होता है । पाठ्य-पुस्तकों से उसे लगाव हो जाता है । वह ज्ञान रस का स्वाद लेने लगता है जो आजीवन उसका पोषण करता रहता है ।
विद्या अर्जन की चाह रखने वाला विद्यार्थी जब विनम्रता को धारण करता है तब उसकी राहें आसान हो जाती हैं । विनम्र होकर श्रद्धा भाव से वह गुरु के पास जाता है तो गुरु उसे सहर्ष विद्यादान देते हैं । वे उसे नीति ज्ञान एवं सामाजिक ज्ञान देते हैं, गणित की उलझनें सुलझाते हैं और उसके अंदर विज्ञान की समझ विकसित करते हैं । उसे भाषा का ज्ञान दिया जाता है ताकि वह अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सके । इस तरह विद्यार्थी जीवन सफलता और पूर्णता को प्राप्त करता हुआ प्रगतिगामी बनता है ।
विद्यार्थी जीवन मानवीय गुणों को अंगीभूत करने का काल है । सुख-दु:ख, हानि-लाभ, सर्दी-गर्मी से परे होकर जब विद्यार्थी नित्य अध्ययनशील हो जाता है तब उसका जीवन सफल हो जाता है । विद्या प्राप्ति के निमित्त कुछ कष्ट तो उठाने ही पड़ते हैं, आग में तपे बिना सोना शुद्ध नहीं होता । इसलिए आदर्श विद्यार्थी जीवन में सुख की चाह न रखते हुए केवल विद्या की चाह रखता है । वह धैर्य, साहस, ईमानदारी, लगनशीलता, गुरुभक्ति, स्वाभिमान जैसे गुणों को धारण करता हुआ जीवन-पथ पर बढ़ता ही चला जाता है । वह संयमित जीवन जीता है ताकि विद्यार्जन में बाधा उत्पन्न न हो । वह नियमबद्ध और अनुशासित रहता है । वह समय की पाबंदी पर विशेष ध्यान देता है ।
विद्या केवल पुस्तकों में नहीं होती । ज्ञान की बातें केवल गुरुजनों के मुखारविन्द से नहीं निकलतीं । ज्ञान तो झरने के जल की तरह प्रवाहमान रहता है । विद्यार्थी जीवन इस प्रवाहमान जल को पीते रहने का काल है । खेल का मैदान हो या डिबेट का समय, भ्रमण का अवसर हो अथवा विद्यालय की प्रयोगशाला, ज्ञान सर्वत्र भरा होता है । विद्यार्थी जीवन इन भांति- भांति रूपों में बिखरे ज्ञान को समेटने का काल है । स्वास्थ्य संबंधी बातें इसी जीवन में धारण की जाती हैं । व्यायाम और खेल से तन को इसी जीवन में पुष्ट कर लिया जाता है । विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के अलावा कोई ऐसा हुनर सीखा जाता है जिसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके ।
गुण- अवगुण, अच्छा-बुरा, पुण्य-पाप, धर्म- अधर्म सब जगह है । विद्यार्थी जीवन में ही इनकी पहचान करनी होती है । चतुर वह है जो सार ग्रहण कर लेता है और असार एवं सड़े-गले का त्याग कर देता है । सार है विद्या, सार है सद्गुण और असार है दुर्गुण । विद्यार्थी जीवन में दुर्गुणों से एक निश्चित दूरी बना लेनी चाहिए ।
ADVERTISEMENTS:
अच्छी आदतें अपनानी चाहिए । बुजुर्गों का सम्मान करना सीख लेना चाहिए । मधुर वाणी का महत्त्व समझ लेना चाहिए । अखाद्य तथा नशीली चीजों से परे रहना चाहिए । शारीरिक एवं मानसिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए । पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए । विद्यार्थी जीवन समाप्त होने पर इन सब बातों पर ध्यान देना नासमझी ही है ।
विद्यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन का स्वर्णिम काल है । इसका पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस जीवन में अनेक प्रकार के प्रलोभन आते हैं जिनसे सावधानी बरतने की आवश्यक
बिसवास
बिसवास
एक डाकू था जो साधू के भेष में रहता था। वह लूट का धन गरीबों में बाँटता था। एक दिन कुछ व्यापारियों का जुलूस उस डाकू के ठिकाने से गुज़र रहा था। सभी व्यापारियों को डाकू ने घेर लिया। डाकू की नज़रों से बचाकर एक व्यापारी रुपयों की थैली लेकर नज़दीकी तंबू में घूस गया। वहाँ उसने एक साधू को माला जपते देखा। व्यापारी ने वह थैली उस साधू को संभालने के लिए दे दी। साधू ने कहा की तुम निश्चिन्त हो जाओ।
डाकूओं के जाने के बाद व्यापारी अपनी थैली लेने वापस तंबू में आया। उसके आश्चर्य का पार न था। वह साधू तो डाकूओं की टोली का सरदार था। लूट के रुपयों को वह दूसरे डाकूओं को बाँट रहा था। व्यापारी वहाँ से निराश होकर वापस जाने लगा मगर उस साधू ने व्यापारी को देख लिया। उसने कहा; """"रूको, तुमने जो रूपयों की थैली रखी थी वह ज्यों की त्यों ही है।""
अपने रुपयों को सलामत देखकर व्यापारी खुश हो गया। डाकू का आभार मानकर वह बाहर निकल गया। उसके जाने के बाद वहाँ बैठे अन्य डाकूओं ने सरदार से पूछा कि हाथ में आये धन को इस प्रकार क्यों जाने दिया। सरदार ने कहा; ""व्यापारी मुझे भगवान का भक्त जानकर भरोसे के साथ थैली दे गया था। उसी कर्तव्यभाव से मैंने उन्हें थैली वापस दे दी।""
किसी के विशवास को तोड़ने से सच्चाई और ईमानदारी हमेशा के लिए शक के घेरे में आ जाती है।"
HINDI ARTICLE: किसान का जीवन
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HINDI ARTICLE: गरीबी पर निबंध
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किसान का जीवन
किसान का जीवन अगर हम बात करे किसान के जीवन के बारे में तो इसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता है। फिर भी बात करे तो किसान के जीवन के बारे में तो किसान का जीवन बहुत ही कठिन होता है। क्योंकि किसान है तो हम लोगो का पेट भरता है किसान दिन रात खेत में काम करता तब जाकर आनाज पैदा होता है। मगर इस समय किसान के हालात इंडिया में बहुत ही दयनीय है क्योकि जब किसान आनाज पैदा करता है तो उसके आनाज को बाजार में असली कीमत नहीं मिल पाती है जब किसान वो अनाज बाजार में बेच देता है तब उसका मूल्य बढ़ जाता है जिससे बड़े ब्यापारियों को किसान का लाभ मिल जाता है। अगर हम बात करे इंडिया के बारे में तो यह एक कृषि प्रधान देश है मगर इस समय किसान की हालात बहुत ख़राब है आये दिन किसान आत्महत्या कर रहा है क्योंकि किसान क़र्ज़ में डूब जाता जिसे वह चूका नहीं पता है और अंत में वे ऐसी गलत कदम उठाता है। यह बहुत ही बुरी बात है की एक ऐसा देश जो कृषि प्रधान देश है और वहा के किसान की हालत इस कदर ख़राब है और सरकार कोई खाश कदम नहीं उठाती। आप ही सोचे एक किसान जो पुरे राष्ट्र का पेट भरता है और उसका ही हाल सबसे ख़राब है सोचने पर तो बुरा लगता है मगर यह हकीकत है। क्या करे कोई कुछ करता ही नहीं है अगर किसानो को इस हालात से निकलना है तो सरकार को निम्न कदम उठाना चाहिए। 1 सबसे पहले किसानो का क़र्ज़ माफ कर देना चाहिए। 2 किसानो को मुफ्त बिजली की ब्वस्था करना चाहिए। 3 किसानो के अनाजों के उचित मूल्य मिलना चाहिए। 4 हरेक किसान को खाद की ब्वस्था करना चाहिए। 5 हरेक गांव में नहर की ब्वस्था।इत्यादि हमारे बिचार से यह सब ब्वस्था होती है तो किसान आत्महत्या नहीं करेंगे। इस कदम से हमारे अनदाता किसनो को लाभ मिलेगा और हमारे देश की GDPभी सुधरेगी जिससे हमारे देश का बिकाश होगा।
Tuesday, 15 October 2019
गरीबी पर निबंध
प्रस्तावना गरीबी इंसान की जीवन की एक बाधा है जो उसे सफलता और खुसिया प्राप्त करने से रोकता है। वास्तव में एक अच्छा जीवन जीने के लिए यह काफी आवश्यक है की हमारे जीवन में गरीबी जैसी समस्या ना हो क्योंकि गरीबी ना सिर्फ ब्यक्ति को दुःख देती है बल्कि यह उसे गलत रस्ते पर भी ले जा सकती है। गरीबी क्या है ? हम गरीबी को भोजन उचित घर ,कपड़े दवाइया।,शिक्षा और एक जैसे मानवाधिकार की कमी के रूप में परिपभासित कर सकते है। गरीबी इंसान को लगतार भूखे रहने ,बिना घर के बिना कपड़ो के बिना शिक्षा के और उचित अधिकारों के बिना जीवन जीने के लिए मजबूर कर देती है। गरीबी के कारण और इसे दूर करने के उपाए हमारे देश में गरीबी के बहुत सारे कारन है इन करने को दूर करके ही गरीबी की समस्या को दूर किया जा सकता है गरीबी निम्न कारण है 1 शिक्षा की कमी 2 जनशख़या में लगतार बृद्धि 3 संक्रामक रोगो का फैलना इत्यादि शिक्षा की कमी से गरीब लोग जनशख़या नियन्तण नहीं कर पत्ते और वे लग्गतार गरीब होते जाते है। गरीब लोग कम शिक्षा के चलते कही पर काम भी नहीं कर पाते और गरीब होते जाते है। गरीबी दूर करने के लिए सबसे पहले गरीब लोगो को शिक्षित कारण जरूरी है इसके लिए जरूरी है की गरीब लोगो को शिक्षा के छेत्र में कुछ कदम उठाया जाए। गरीबी दूर करने के लिए गरीब लोगो के लिए काम की ब्यवस्था कराया जाए। किसी महापुरष ने कहा था की ,दुनिया में गरीब जन्मना कोई पाप नहीं है, मगर गरीब मर जाना पाप है ,. निष्कर्ष जीवन में गरीबी एक ऐसी बाधा है ,जो हमारे जीवन कई तरह की परेशानिया उत्पन करती है। गरीबी के कारन बच्चे अशिक्षित और कुपोषण के शिकार हो जाते है। यदि बास्तव में हम एकआदर्श समाज की अस्थ्पाना करना चाहते है तो पहले हमें गरीबी की समस्या से निजात पाना है।
Monday, 14 October 2019
dil ko chune wali shay ri
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